भारतीय स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। केंद्र सरकार अपने प्रमुख स्वास्थ्य कार्यक्रम, आयुष्मान भारत योजना में एक महत्वपूर्ण बदलाव करने पर विचार कर रही है। इस योजना के तहत अब 5 लाख रुपये नहीं, बल्कि 10 लाख रुपये तक के फ्री इलाज की सुविधा देने का प्रस्ताव है।
केंद्र सरकार अपनी प्रमुख आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) के लाभार्थियों की संख्या आगामी तीन साल के दौरान दोगुना करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। सरकार 70 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को इसके दायरे में लाने और आयुष्मान भारत बीमा कवरेज को बढ़ाकर 10 लाख रुपये प्रति वर्ष करने पर मंथन कर रही है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, यदि प्रस्तावों को मंजूरी दी जाती है तो राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के अनुमान के अनुसार, सरकारी खजाने पर प्रति वर्ष 12,076 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च आएगा।
सूत्रों ने कहा, “अगले तीन वर्षों में एबी-पीएमजेएवाई के तहत लाभार्थियों की संख्या दोगुना करने पर चर्चा हो रही है, जिसे लागू किया गया तो देश की दो-तिहाई से अधिक आबादी को स्वास्थ्य कवर मिलेगा। परिवारों को कर्ज के दलदल में धकेलने वाले कुछ सबसे बड़े कारणों में चिकित्सा व्यय भी एक है।”
Ayushman Bharat Yojana कवरेज राशि में वृद्धि
वर्तमान में आयुष्मान भारत योजना के तहत प्रति परिवार को पांच लाख रुपये का वार्षिक कवर मिलता है। सरकार इस सीमा को बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने का विचार कर रही है। यह बदलाव विशेष रूप से उच्च लागत वाले उपचार जैसे प्रतिरोपण, कैंसर आदि के मामलों में परिवारों को राहत प्रदान करने के उद्देश्य से किया जा रहा है।
बजट में संभावित घोषणा
इस महीने के अंत में पेश होने वाले केंद्रीय बजट में इन प्रस्तावों या इसके कुछ हिस्सों की घोषणा होने की उम्मीद है। अंतरिम बजट 2024 में सरकार ने ‘एबी-पीएमजेएवाई’ के लिए आवंटन बढ़ाकर 7,200 करोड़ रुपये कर दिया जो 12 करोड़ परिवारों को माध्यमिक और तृतीयक देखभाल अस्पताल में भर्ती के लिए प्रति वर्ष पांच लाख रुपये प्रति परिवार का स्वास्थ्य कवर प्रदान करता है। आयुष्मान भारत हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) के लिए 646 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए राहत
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 27 जून को संसद की संयुक्त बैठक में अपने अभिभाषण में कहा था कि 70 वर्ष से अधिक उम्र के सभी बुजुर्गों को भी अब Ayushman Bharat Yojana के तहत कवर किया जाएगा और मुफ्त इलाज का लाभ मिलेगा। इस योजना में 70 वर्ष से अधिक उम्र वालों को मिलाकर लाभार्थियों की संख्या लगभग चार-पांच करोड़ बढ़ जाएगी। नीति आयोग ने अक्टूबर 2021 में प्रकाशित ‘भारत के लापता मध्य के लिए स्वास्थ्य बीमा’ शीर्षक वाली अपनी रिपोर्ट में इस योजना का विस्तार करने का सुझाव दिया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि लगभग 30 प्रतिशत आबादी स्वास्थ्य बीमा से वंचित है, जो भारतीय आबादी में स्वास्थ्य बीमा कवरेज में अंतर को उजागर करती है। लगभग 20 प्रतिशत आबादी सामाजिक स्वास्थ्य बीमा और निजी स्वैच्छिक स्वास्थ्य बीमा के माध्यम से कवर की जाती है, जो मुख्य रूप से उच्च आय समूहों के लिए तैयार की गई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि स्वास्थ्य कवर से वंचित इस आबादी को ‘लापता मध्य’ (मिसिंग मिडल) कहा जाता है।
सरकार के ये प्रस्ताव स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ और सस्ता बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकते हैं। आयुष्मान भारत योजना के विस्तार से अधिक से अधिक लोग लाभान्वित होंगे और स्वास्थ्य सेवाओं का व्यापक लाभ प्राप्त कर सकेंगे।
आयुष्मान भारत योजना का परिचय
आयुष्मान भारत योजना, जिसे प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) के नाम से भी जाना जाता है, 2018 में शुरू की गई थी। इस योजना का उद्देश्य देश के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को उच्च गुणवत्ता की स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। वर्तमान में, इस योजना के तहत प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज मिलता है।
बदलाव की आवश्यकता क्यों?
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती लागत और गंभीर बीमारियों के मामलों में बढ़ोतरी के कारण मौजूदा 5 लाख रुपये की सीमा कई बार अपर्याप्त साबित हो रही है। गंभीर बीमारियों और लंबे उपचार के मामलों में यह सीमा जल्दी ही समाप्त हो जाती है, जिससे मरीजों और उनके परिवारों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ता है।
Ayushman Bharat Yojana में 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज देने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। यह बदलाव न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को बढ़ाएगा, बल्कि गंभीर और महंगी बीमारियों के उपचार के दौरान मरीजों और उनके परिवारों को बड़ी राहत प्रदान करेगा।
फायदे और चुनौतियाँ
इस बदलाव के कई फायदे हो सकते हैं:
- बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं: अधिकतम राशि बढ़ाने से मरीजों को बेहतर और अधिक व्यापक स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकेंगी।
- आर्थिक सुरक्षा: गरीब और निम्न आय वर्ग के लोगों को गंभीर बीमारियों के इलाज के दौरान आर्थिक संकट से बचाया जा सकेगा।
- बीमारियों की बेहतर जांच: उच्च सीमा से मरीज अधिक नियमित और व्यापक जांच करवा सकेंगे, जिससे गंभीर बीमारियों का समय पर पता लग सकेगा।